Wednesday, December 2, 2020

चार पक्तियाँ


                                                                                                                                            ०२/१२/२०२० 

१)
दिल होता तो रो पड़ता, देख पीड़ा किसी की
क्योंकि दर्द, दिमाग़ को समझ नहीं आते।
अब क्या शिकायत करें जनाब,
पत्थरों के साथ जी रहे हैं, इंसान होते तो पिघल जाते।
     

२)
 देख मसरूफ़ियत* और कुछ करने की लगन तेरी
 सीना फख्र* से चौड़ा हो जाता है।
 पर, जब दिखती नहीं तुम्हें तकलीफ मेरी  
 दिल ज़ार-ज़ार* रोता है।


* व्यस्तता
* गर्व
* बहुत ज्यादा 





meना 

Saturday, September 19, 2020

ऐ बंदे ....


                                                                                                                                              १८/०९/२०२० 


होते रहेंगे सब काम, अपने तय समय पर 

बस, तू करना छोड़ दे।

बँटेंगी ज़िम्मेदारियाँ भी, सही वक़्त आने पर 

बस, तू बनना छोड़ दे।

meना 

    

Saturday, September 5, 2020

शिक्षक साल २०२० का



०५/०९/२०२०


साल दो हज़ार बीस ऐसा आया,
साथ अपने महामारी लाया।
कोरोना ने सबका, दिल दहलाया,
हमें, अपने घरों में बंद करवाया।

फिर, सब ने कमर कस ली अपनी,
डॉक्टर हो या, हो पुलिस कर्मी।
ये सब, इस लिए योद्धा कहलाए,
अपने हिस्से का, सम्मान ये पाए।

भूल गए हम उस, एक योद्धा को,
जिसने संवारा देश के भविष्य को।
जी हाँ, वो कोई और नहीं है,
अपना प्यारा शिक्षक ही है।

यूँ तो शिक्षक है सदा आदरणीय,
२०२० ने बना दिया उसे, अविस्मरणीय।
लॉकडाउन में जहाँ, बंद 
था सबका काम,
शिक्षक ने नहीं किया, पल भर आराम।

ऑनलाइन शिक्षा क़तई नहीं आसान
पर, हार न मानने की, ली थी उसने ठान।
सीखा और समझा नयी तकनीक को,
कठिन ज्ञान को, किया सुलभ वो।

कई व्यंग हुए, चुटकुले भी बने,
ऑनलाइन शिक्षा पर, कसे गए ताने।
इस पर भी, शिक्षक रुका नहीं,
चाहे कुछ हो, वह झुका नहीं।

देख शिक्षक की ऐसी लगन,
धरा पे, झुक जाएगा गगन।
बच्चे करते हैं, जिनका अनुगमन,
ऐसे शिक्षक को है, मेरा नमन।

meना




सभी शिक्षकों को मेरी तरफ़ से, शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।  Happy Teachers’ Day 🙏🏻

Tuesday, September 1, 2020

तुम्हारा बरसना 🌧

                                                                                                                                          ३१/०८/२०२०


बरसती हो तुम जब भी ज़ोरों से
खींचती हो मुझे अपनी ओर ऐसे
कान्हा की मुरली बजती हो
गोपियों के लिए जैसे।

हर बार तुम्हारा बरसना
घर में ही मेरे पैरों का थिरकना।
संगीत कोई सुनाती हो जैसे
मन झूम उठता है धुन पे ऐसे।

जिस ओर देखो हरियाली है छाई
जो तुम्हारी बदौलत है पाई।
डराता है रौद्र रूप तुम्हारा
न धारण करो ऐसा रूप कि हो तबाही।

बस नहीं चलता दिल पे मेरा
निहारती रहूँ यह सौंदर्य प्यारा।
छोड़ दूँ घर के काम सारे
और देखती रहूँ नृत्य तुम्हारा।

meना

Sunday, August 2, 2020

दोस्त 👩🏻‍🤝‍👩🏻

                                                                                                                                                            ०१/०८/२०२०


चंद पंक्तियाँ मेरे प्यारे दोस्तों 👩🏻‍🤝‍👩🏻 के नाम जिन्होंन मेरे जीवन में रंग, रूप और स्वाद भरा है। मेरे सभी दोस्तों को Friendship Day की खूब बधाई हो। 😊



१)
सोचने वाली बात है गौर कीजिएगा ज़रा ....🤔

कि दोस्त सबके होते हैं
छोटों के बड़ों के
अमीर के ग़रीब के
गोरे के काले के
हर धर्म के इंसान के
पर...... फिर भी
दोस्त कभी छोटा या बड़ा
अमीर या गरीब, गोरा या काला
ऊँचा या नीचा नहीं होता।

क्यूँ?????

क्यूँ कि दोस्त-दोस्त होता है
अच्छा या बुरा नहीं होता।

२)
दोस्त आपके भी हैं, दोस्त हमारे भी हैं।
दोस्त आपके भी हैं, दोस्त हमारे भी हैं।
आपके ज़्यादा, तो कम हमारे हैं।
एक बात कहूँ बुरा न मानिएगा 🙏🏻
ज़्यादा प्यारे दोस्त तो हमारे ही हैं। 😊😇

meना

एक साल

                                                                                                                                ०१/०८/२०२० 



बीत गया लिखते लिखते एक साल देखो 
फिर आ गया दोस्ती का त्यौहार देखो। 

शुरू किया था सफ़र लिखने का आज ही के दिन मैंने, 
जिसे सराहा और प्रोत्साहित किया है आप सब के प्यार ने। 

छूटे ना ये मेरी और आपकी दोस्ती देखो 
यूँ ही बनाए रखना अपना प्यार देखो। 🙏🏻 

बीत गया लिखते लिखते एक साल देखो 
फिर आ गया दोस्ती का त्यौहार देखो। 

meना

Thursday, July 16, 2020

प्राण

                         १६/०७/२०२०


प्राण बचाने बैठे हैं घर पे
साँसें बचाने बैठे हैं घर पे
क्या होगा जब प्राण तो होंगे
          पर.........
आत्मविश्वास न बचेगा
बच्चों का बचपन न बचेगा
उनका खेलना कूदना न बचेगा
उनकी मुस्कुराहट घटेगी
न बचेंगे रिश्ते, न प्यार
कैसे मनाएँगे अकेले त्योहार ?
ख़ुशियाँ न बचेंगी, ग़म ही रहेंगे
फिर इस निष्प्राण जीवन का क्या करेंगे ?
आख़िर ये ( प्राण ) भी तो नहीं रहेंगे ।
कब तक नीरस जीवन जीएँगे ?
प्राण बचाने बैठे हैं घर पे ....

meना



Thursday, July 9, 2020

ऐ बारिश....


                                                                                                                                                                 ०९/०७/२०२०
प्रिया पाठकगण,

नमस्ते 🙏🏻
ये चार पंक्तियाँ मैंने गुरु पूर्णिमा की रात (०५/०७/२०२०) को हुई बारिश से प्रेरित होकर लिखी है। आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी।




 बारिश.... ☔️ 🌧 


देख रही हूँ तुझे दूर से ही बारिश 

क्यूँ कि छूना मना है। 

वरना जी तो बहुत करता है 

तुम्हें गले लगाने को। 

 

meना 

Monday, July 6, 2020

मुझे फ़र्क पड़ता है

                                                                                                                                              ०५/०७/२०२०


हज़ारों मरते हैं रोज़
कोरोना से या किसी और कारण से,
मुझे फर्क पड़ता है
केवल किसी अपने के जाने से 

मजबूर कर दिया आज कलम उठाने को 
ऐसे ही किसी अपने की जुदाई ने,
वरना आत्मा तो जैसे खो गई थी 
विपदाओं की गहराई में 

meना 

Monday, March 30, 2020

नई ज़िंदगानी

२७/०३/२०२०

प्रिय मित्रों 🙏
अभी  हाल ही में lockdown के दिनों में बारिश हुई थी । उसी एक सुबह मैंने जो महसूस किया उसी को इस कविता के ज़रिये पेश कर रही हूँ ।आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी ।



हवा की आज रवानी देखी 
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।

जवाँ दिख रहीं थीं पत्तियाँ पेड़ों पे,
हवा ले रही थी ताज़ा  साँसें ।
ऐसे गा रहे थे पंछी गगन में,
मानो प्रकृति का  जन्मदिन मना रहे थे ।
हवा की आज रवानी देखी 
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।

क़ैद थे इंसान घरों में,
व्यस्त अपनी  दिनचर्या में ।
वातावरण शुद्ध हो रहा था, 
पुनर्जनम उसका हो रहा था ।
हवा की आज रवानी देखी 
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।

meना 

Sunday, March 22, 2020

जनता कर्फ्यू

२२/०३/२०२०

प्रिय पाठकगण,
आज की यह कविता जनता कर्फ्यू से प्रेरित होकर लिखी है। आशा करती हूँ आप सबको पसंद आएगी।🙏


बैठती तो रोज़ ही होगी मुंडेर पर,
चहकती भी होगी शायद ।
लोगों के शोरोगुल में,
सुनाई कम देती होगी हमें ।

आज सुबह उसके ही,
चहकने से आँख खुली ।
खिड़की से झांका सन्नाटा था,
आदमी एक ना आधा था ।

केवल सुरक्षा कर्मी सुनाई दिए,
फ़र्ज़ ने उनको बांधा था ।
जनता कर्फ्यू ने हम सबको, 
घरों में अपने बिठाया था ।

आज न कोई बंदूक चलेगी,
ना कहीं बम फूटेगा ।
जान पे बन आई है यारों,
ख़ाक कोई कुछ लूटेगा ।

अलग थी विचारधारा जिनकी,
थे मतभेद जिनके मन में ।
एक स्वर में बोल रहे हैं,
एकजुट अब हो गए हैं ।

 जो काम कोई कर न सका वह,
एक विषाणु ने कर दिखाया ।
हम सब को एक छत के नीचे,
लाके खड़ा अब कर दिया ।

कुदरत तेरे खेल निराले !
कैसे कैसे खेले खेले ।
मानवता का सबक सिखाने,
नित-नए रंग तू है बदले ।

ऐ मानव! अब तो जाग,
फ़र्ज़ से अपने ऐसे ना भाग ।
कुदरत ने जो तुझे दिया है,
उसका संतुलन ना बिगाड़ । 🙏

meना 




Wednesday, March 4, 2020

सूफियाना दिल 🙏

०४/०३/२०२०


१) 
आ मिल मुझसे 
कि आमिल बन जा ।
छोड़ मैं के जमेले 
और कामिल बन जा ।

२) 
बनना, बनाना छोड़ 
और हस्ती मिटा ।
खुदा से खुद को जोड़ 
और मस्ती लुटा 

**आमिल- फकीर 
    कामिल- पूर्ण 

meना 🙏

Monday, February 24, 2020

पा-गल

२४/०२/२०२०

            पा-गल 


पा-गल, पा-गल सब कहें,
गल पाया न कोय
जो गल रब की समझ गया,
ते पागल रह्या न कोय

meना 
(संत कबीर के दोहों से प्रेरित होकर।)
(Inspired by Sant Kabir's verses)

Thursday, February 13, 2020

इश्क़ वाला वायरस

                                                                                     १३/०२/२०२० 

प्रिय पाठकगण,
नमस्कार। वर्ष २०२० की मेरी पहली कविता उन प्रेमियों को समर्पित है जिनका प्रेम प्रति वर्ष फ़रवरी महीने में वैलेंटाइन्स के दिनों में बढ़ जाता है इससे मेरा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का उद्देश्य कतई नहीं है  



                                                                                       


कई युवक युवतियों को अपनी चपेट में ले लेता है,
सुना है यह इश्क़ वाला वायरस हर साल फ़रवरी में फैलता है

लॉटरी लगती है फूल वालों और दुकानदारों की,
बस अपने मरीज़ को यह कहीं का नहीं छोड़ता है
यह इश्क़ वाला वायरस हर साल फ़रवरी में फैलता है


meना