Thursday, July 16, 2020

प्राण

                         १६/०७/२०२०


प्राण बचाने बैठे हैं घर पे
साँसें बचाने बैठे हैं घर पे
क्या होगा जब प्राण तो होंगे
          पर.........
आत्मविश्वास न बचेगा
बच्चों का बचपन न बचेगा
उनका खेलना कूदना न बचेगा
उनकी मुस्कुराहट घटेगी
न बचेंगे रिश्ते, न प्यार
कैसे मनाएँगे अकेले त्योहार ?
ख़ुशियाँ न बचेंगी, ग़म ही रहेंगे
फिर इस निष्प्राण जीवन का क्या करेंगे ?
आख़िर ये ( प्राण ) भी तो नहीं रहेंगे ।
कब तक नीरस जीवन जीएँगे ?
प्राण बचाने बैठे हैं घर पे ....

meना



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