०५/०७/२०२०
हज़ारों मरते हैं रोज़
कोरोना से या किसी और कारण से,
मुझे फर्क पड़ता है
केवल किसी अपने के जाने से ।
मजबूर कर दिया आज कलम उठाने को
ऐसे ही किसी अपने की जुदाई ने,
वरना आत्मा तो जैसे खो गई थी
विपदाओं की गहराई में ।
meना
हज़ारों मरते हैं रोज़
कोरोना से या किसी और कारण से,
मुझे फर्क पड़ता है
केवल किसी अपने के जाने से ।
मजबूर कर दिया आज कलम उठाने को
ऐसे ही किसी अपने की जुदाई ने,
वरना आत्मा तो जैसे खो गई थी
विपदाओं की गहराई में ।
meना
Superbb 🙌
ReplyDeleteThank you.
DeleteDil ko chhunewali kavita hai.
ReplyDeleteThank you Laxmi ma'am.
DeleteVery nice 👌
ReplyDeleteThank you.
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteThank you.
DeleteSuperb 👍👍
ReplyDeleteThank you Neelam ji.
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