३१/०८/२०२०
बरसती हो तुम जब भी ज़ोरों से
खींचती हो मुझे अपनी ओर ऐसे
कान्हा की मुरली बजती हो
गोपियों के लिए जैसे।
हर बार तुम्हारा बरसना
घर में ही मेरे पैरों का थिरकना।
संगीत कोई सुनाती हो जैसे
मन झूम उठता है धुन पे ऐसे।
जिस ओर देखो हरियाली है छाई
जो तुम्हारी बदौलत है पाई।
डराता है रौद्र रूप तुम्हारा
न धारण करो ऐसा रूप कि हो तबाही।
बस नहीं चलता दिल पे मेरा
निहारती रहूँ यह सौंदर्य प्यारा।
छोड़ दूँ घर के काम सारे
और देखती रहूँ नृत्य तुम्हारा।
meना
Awesome lines...🤗👍😍
ReplyDeleteThank you Varghese 🙏
DeleteSuperb
ReplyDeleteThank you Veena 😊
DeleteAwesome 👍
ReplyDeleteThank you 🙏
DeleteDancing with the rain ♥
ReplyDeleteYes.... Thank you 🙏
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