Sunday, September 5, 2021

शिक्षक

०५/०९/२०२१ 


जो बच्चों की मन रूपी मिट्टी में 

ज्ञान के बीज बोएवह है शिक्षक। 


उन बीजों को स्नेह की छाया और 

डाँट की धूप से सींचेवह है शिक्षक। 


फिर उस पौधे को मार्गदर्शन की 

देखभाल से पेड़ बनाएवह है शिक्षक। 


जो कभी गुरुकभी अभिभावक तो 

कभी सखा बन साथ चलेवह है शिक्षक। 


meना


"Happy Teachers' Day"

आज के शिक्षक

 ०५/०९/२०२१

आजइस शिक्षक दिवस परमैं अपने सभी शिक्षकों को सादर नमन 🙏🏻 करती हूँ। और, अपनी इस कविता के माध्यम से उनके प्रति अपना स्नेह और कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ। 


जब जब शिक्षक दिन है आता

सीना फ़ख़्र से चौड़ा हो जाता

और सिर गर्व से ऊँचा हो जाता।


मेरे और दुनिया के सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। 🙏🏻😊



युग बदलेशिक्षा बदली

बदलीं शिक्षण पद्धतियाँ। 

इस महामारी ने बदल दीं हैं

हमारे शिक्षकों की छवियाँ। 


आज के शिक्षकों ने दिखा दिया है 

चाहे जैसी हों परिस्थितियाँ 

ना रुका है रुकेगा 

शिक्षा का कार्य चलता ही रहेगा। 


छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने हेतु

खुद छात्र बननई प्रविधि सीखी। 

आदर्श शिक्षकछात्र और

गृहस्थ की मिसाल उन्होंने रखी। 


आसान नहीं रहा होगा उनके लिए 

शिक्षण कार्य और घर के कार्य 

के बीच तालमेल बनाए रखना। 

उस पर भी हार  मानना और 

डटे रहनाहमें उनसे है सीखना। 


कार्य मुश्किल हो सकता हैनामुमकिन नहीं

बसहम उम्मीद का दामन छोड़ें नहीं। 

देखनाज़रूर दिखेगी एक किरण नई। 

यही, शिक्षकों से है हमें प्रेरणा मिली। 


meना


"Happy Teachers’ Day"



Friday, September 3, 2021

छोटी-छोटी ख़ुशियाँ



०३/०९/२०२१


व्यर्थ है तरसना बड़ी ख़ुशियों को 

जब छोटी-छोटी ख़ुशियाँ हैं मुझे बुलाएँ।

बारिश, पकोड़े और चाय 

मिल जाएँ ये तीन 

तो दिन बन जाए। 






 






meना


Saturday, August 14, 2021

ग़ौरतलब है…..

 १४/०८/२०२१



हर पिता कभी न कभी 

अपनी औलाद से कहता ज़रूर है,

“सुधर जाओ वरना पछताओगे”

दर असल ये एक पिता नहीं

बल्कि एक बेटे का तजुर्बा बोलता है। 


ग़ौरतलब है…..

कहते हो सुधरने को जिसे

पहले उसे अपनी नज़र में 

बिगड़ने तो दो।


कोई ग़लत नहीं होता खुद की नज़रों में

बस, समझ का फेरा है

पहले इसे समझ तो लो।


meना

Sunday, June 6, 2021

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गईं?!

 ०५/०६/२०२१  


भाई बहनों में सबसे छोटी 

पर काम बड़े तुम कर गईं। 

कहने को थीं तुम बुआ हमारी 

पर प्यार बहन सा दे गईं। 

ग़म इस बात का सता रहा कि

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गईं?!


रोका गया था तुम्हें मिलने से 

खुद अपने ही भाई से। 

देख  सकी उन्हें तुम 

उनकी अंतिम विदाई में।

इतनी जल्दी थी मिलने की उनसे 

कि सबको पीछे कर गईं!

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गईं?!


सुना था तुम्हारी बीमारी का जब से 

चैन नहीं था मुझे भी तब से। 

किस मुँह से प्रार्थना करती 

कि तुम्हें परम शांति प्राप्त हो। 

क्योंकि दिल की तमन्ना यही थी 

इसी जीवन में तुम्हें सुख प्राप्त हो। 

पर तुम तो परमात्मा में लीन हो गईं 

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गई?!


नींद नहीं आती अब रात को 

जी करता है झुठला दूँ इस बात को। 

पर सच तो यही है कि

अब तुम नहींतुम्हारी यादें रह गईं। 

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गईं?!


दुख कहाँ नहीं होते?

कष्ट किसे नहीं होते?

और उन्हें सहने की सीमा 

हर-एक की तय होती है। 

तुम तो सारी सीमाएँ पार कर गईं!

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गईं?!


अब  सहना पड़ेगा कुछ भी तुम्हें

तुम जो गई हो प्रभु के चरणों में। 

मुस्कुराते हुए अपने चेहरे से 

सबके दिलों में जगह बना गईं। 

बाहर से  बोलेंगे शायद 

मन में फुसफुसा लेंगे कभी कि

आख़िर तुम भी हमें छोड़ चली गईं?! 




meना

Sunday, May 23, 2021

दुआ

२२/०५/२०२१


देखने जाते थे जिन्हें कभी 

चिड़ियाघरों और अभ्यारण्यों में

अक्सर चले आते हैं वे आज देखने 

मनुष्यों को उनकी ही बस्तियों में। 


कुछ ऐसे हीचला आया एक मोर 

कल मेरी भी गली में।  

देखने उस अद्भुत नज़ारे को 

अचल हुई और वहाँ से  हिली मैं। 


इधर-उधर देखते हुए टहल रहा था 

वो जिस अन्दाज़ से

मानो पूछ रहा हो वो 

कैसे हो” हम सबसे। 


देख उसकी बेबाक़ी और 

बिना मास्क उसकी छवि 

सच पूछो तोअच्छा तो खूब लगा 

पर दिल में हुई कसक भी। 


दिल ने कहा....

 मोरआज जो ये तुम टहल रहे हो 

बस्ती में मेरी बिना ख़ौफ़ खाए। 

दुआ करो कि हम भी घूमें ऐसे 

बिना कोई मास्क लगाए। 



 meना

Wednesday, May 19, 2021

प्रार्थना

१७/०५/२०२१


जवान तोड़ रहे हैं दम 

बुज़ुर्ग छोड़ रहे हैं आस 

और बच्चे हो रहे अनाथ 

ये कैसी लीला हैतेरी नाथ ?


माना परिस्थितियाँ विकट हैं 

मदद को ना आता कोई निकट है

यह भी गुज़र जाएगा 

ऐसा विश्वास अटूट है। 

पर.....

दिल दहल जाता है 

कान सुन्न पड़ जाते हैं 

और होंठ मानो सिल जाते हैं 

जब जब सुनते ख़बर दुखद हैं। 


बस करो प्रभु अब 

और  दिखाओ मौत का ये तांडव। 

महामारी से लड़ते-लड़ते थक चुका है मानव। 

अल्पविराम नहींअब पूर्णविराम लगाओ इसे 

हाथ जोड़ करते हैं ये प्रार्थनाहे माधव! 🙏🏻


meना