१४/०८/२०२१
हर पिता कभी न कभी
अपनी औलाद से कहता ज़रूर है,
“सुधर जाओ वरना पछताओगे”
दर असल ये एक पिता नहीं
बल्कि एक बेटे का तजुर्बा बोलता है।
ग़ौरतलब है…..
कहते हो सुधरने को जिसे
पहले उसे अपनी नज़र में
बिगड़ने तो दो।
कोई ग़लत नहीं होता खुद की नज़रों में
बस, समझ का फेरा है
पहले इसे समझ तो लो।
meना
Khhob kaha
ReplyDeleteThank you 😊
DeleteShandar sunder
ReplyDeleteThank you 😊
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