Dear readers,
Greetings to all. Today, I chose to write on the above mentioned title as I wanted to convey the feelings of every mother ( actually every parent ) of a daughter in the world. I hope you will like it. It's a late post on the occasion of “Daughters' Day”. Thank you all once again for appreciating my work. I also thank to those who have directly or indirectly helped me to improve my write up.
प्रिय पाठकगण,
नमस्कार। आज मैंने अपनी इस कविता जिसका शीर्षक है "बिटिया" द्वारा दुनिया की हर बेटी की माँ ( माता-पिता ) की भावनाएँ व्यक्त करने का प्रयास किया है। आशा करती हूँ यह आपको पसंद आएगी। आप सबका धन्यवाद और उन सबका भी तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मेरे कार्य को निखारने में मेरी सहायता की है।
Greetings to all. Today, I chose to write on the above mentioned title as I wanted to convey the feelings of every mother ( actually every parent ) of a daughter in the world. I hope you will like it. It's a late post on the occasion of “Daughters' Day”. Thank you all once again for appreciating my work. I also thank to those who have directly or indirectly helped me to improve my write up.
प्रिय पाठकगण,
नमस्कार। आज मैंने अपनी इस कविता जिसका शीर्षक है "बिटिया" द्वारा दुनिया की हर बेटी की माँ ( माता-पिता ) की भावनाएँ व्यक्त करने का प्रयास किया है। आशा करती हूँ यह आपको पसंद आएगी। आप सबका धन्यवाद और उन सबका भी तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मेरे कार्य को निखारने में मेरी सहायता की है।
२४/०९/२०१९
जिस घर में होती हैं बेटियाँ
उस घर में सदा रहती हैं ख़ुशियाँ।
घर को जीवंत रखती हैं उसकी किलकारियाँ,
उसका हँसना, खेलना और शैतानियाँ।
ख़ुश-नसीब है वह दंपति जिनके घर पैदा होती हैं बेटियाँ,
तरस आता है उन लोगों पर जो त्याग देते हैं बेटियाँ,
और घर ले आते हैं बद-नसीबियाँ।
बेटी का जन्म लेना जैसे बाग़ में कली का खिलना,
अत्यंत मासूम, सुंदर और कोमल जिसका दिखना।
आसान नहीं है कली का फूल बनना,
कई कठिनाइयों व परिवर्तनों से इसे पड़ता है गुज़रना।
कभी समाज की दर्दनाक बुराइयों से इसे पड़ता है जूझना।
बेटी के माता-पिता को आज डर-डर के है जीना पड़ता।
समय की गुहार है कि हर कली व फूल को अंगार है बनाना,
उसे आत्मरक्षा के गुर हैं सिखाना।
*बिटिया*
जिस घर में होती हैं बेटियाँ
उस घर में सदा रहती हैं ख़ुशियाँ।
घर को जीवंत रखती हैं उसकी किलकारियाँ,
उसका हँसना, खेलना और शैतानियाँ।
ख़ुश-नसीब है वह दंपति जिनके घर पैदा होती हैं बेटियाँ,
तरस आता है उन लोगों पर जो त्याग देते हैं बेटियाँ,
और घर ले आते हैं बद-नसीबियाँ।
बेटी का जन्म लेना जैसे बाग़ में कली का खिलना,
अत्यंत मासूम, सुंदर और कोमल जिसका दिखना।
आसान नहीं है कली का फूल बनना,
कई कठिनाइयों व परिवर्तनों से इसे पड़ता है गुज़रना।
कभी समाज की दर्दनाक बुराइयों से इसे पड़ता है जूझना।
बेटी के माता-पिता को आज डर-डर के है जीना पड़ता।
समय की गुहार है कि हर कली व फूल को अंगार है बनाना,
उसे आत्मरक्षा के गुर हैं सिखाना।
आगे की पंक्तियाँ एक माँ की है भावना
आओ, इसे महसूस करें जो वह
अपनी बेटी से चाहती है कहना।
माँ हूँ मैं तुम्हारी हर कही अनकही बात भाँप लेती हूँ,
हो सकता है कभी मैं चूक जाऊँ समझना तुम्हें,
क्यूँ कि आख़िर मैं भी तो एक इंसान हूँ।
हो सकता है कोई ऐसी बात जो
तुम मुझसे कहना चाहो पर कह ना सको,
रोना चाहो पर रो ना सको,
ख़ुशी को अपनी दिखा ना सको।
यह सोच के कि डाँट पड़ेगी या समाज में खिल्ली उड़ेगी,
मत दबाना आवाज़ तुम अपनी और न बाँध लेना अश्रु तुम्हारे,
क्यूँ कि हम माँ-बाबा हैं तुम्हारे जो सदैव से संग खड़े हैं तुम्हारे।
ऐ बिटिया, बोल देना हर छोटी बड़ी बात जो तुम्हें है सताती,
बाँट लेना हर मानसिक और शारीरिक पीड़ा तुम्हारी।
ना चुप-चुप के सहना, ना घुट-घुट के रहना,
क्यूँ कि माँ बाबा तुम्हारे साथ हैं ये मत भूलना।क्यूँ कि माँ बाबा तुम्हारे साथ हैं ये मत भूलना।
हो सकता है कभी मैं चूक जाऊँ समझना तुम्हें,
क्यूँ कि आख़िर मैं भी तो एक इंसान हूँ।
हो सकता है कोई ऐसी बात जो
तुम मुझसे कहना चाहो पर कह ना सको,
रोना चाहो पर रो ना सको,
ख़ुशी को अपनी दिखा ना सको।
यह सोच के कि डाँट पड़ेगी या समाज में खिल्ली उड़ेगी,
मत दबाना आवाज़ तुम अपनी और न बाँध लेना अश्रु तुम्हारे,
क्यूँ कि हम माँ-बाबा हैं तुम्हारे जो सदैव से संग खड़े हैं तुम्हारे।
ऐ बिटिया, बोल देना हर छोटी बड़ी बात जो तुम्हें है सताती,
बाँट लेना हर मानसिक और शारीरिक पीड़ा तुम्हारी।
ना चुप-चुप के सहना, ना घुट-घुट के रहना,
क्यूँ कि माँ बाबा तुम्हारे साथ हैं ये मत भूलना।क्यूँ कि माँ बाबा तुम्हारे साथ हैं ये मत भूलना।
meना
Deep from heart meenaji.
ReplyDeleteThank you :) Shashi.
DeleteSuperb...thoughts of every parent expressed so beautifully
ReplyDeleteThank you :) Deepaji.
DeleteSo good! You are very much capable of expressing your feelings in your poems.
ReplyDeleteThank you so much m'am. It's you who advised me to be a blogger. Thank you once again for that. Kindly keep guiding me.
DeleteWow beautiful poem.loved it!Really touched.
ReplyDeleteThank you :) Kruti.
DeleteToo good
ReplyDeleteThank you :)
DeleteWow.. very beautiful poem Meena.
ReplyDeleteThank you :)
DeleteGood poem...Keep it up..
ReplyDeleteThank you :)
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