२४/०४/२०२१
कोरोना ने जो क़हर है ढाया
चारों ओर हाहाकार है मचाया
कितनों ने अपनों को खोया
जाने कैसा समय ये आया!!
ऐसे में हौसला न हारें
आओ सब मिलकर प्रार्थना करें।
न अस्पताल न इलाज है मिलता
कैसी बेबसी लाचारी है छाई।
चाह कर भी मदद न कर सकते किसी की
जाने कैसी ये बीमारी है आई!!
चलो भीतर के तार हम जोड़ें
एक दूसरे को सांत्वना हम दें
आओ सब मिलकर प्रार्थना करें।
दया करो प्रभु
दुःख ये हरो प्रभु
स्वस्थ हो जाएँ जो हैं बीमार
अब न उजड़े किसी का संसार
हाथ जोड़ विनती ये करें
आओ सब मिलकर प्रार्थना करें।
meना
Very nicely expressed your thoughts through this poem...
ReplyDeleteGreat....����
Thank you ☺️ beta Harry.
DeleteYou are right. Your expression here is ultimate. This needs to be acted.
ReplyDeleteThank you 🙏🏻 ma’am.
DeleteVery nice Meena ji
ReplyDeleteThank you 🙏🏻
DeleteCongratulations Meena. Very well expressed.
ReplyDeleteThank you 🙏🏻
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