Monday, April 12, 2021

क़यामत

 12/04/2021


परछाई हूँ मैं जीवन की
रहती हूँ तेरे आस पास
दिखती नहीं मगर मैं
चलती हूँ तेरे साथ साथ।

देखती हूँ तेरे हर पल को
ख़ुशी को और हर ग़म को
रोकती नहीं टोकती नहीं कभी भी
जो करना हो करो जीवन को।

पर, धर दबोचूँगी तुम्हें एक दिन
रोक न पाओगे तुम मुझको
एक न चलेगी तब तुम्हारी
जान-पहचान पैसा या ताक़त हो।

देखते सुनते हो रोज़ मुझको
ले जाते हुए जीवन को
तब भी न आँखें खुलतीं तुम्हारी
इतने भी क्या ना समझ हो !?

परछाईं हूँ मैं जीवन की
रहती हूँ तेरे आस पास
दिखती नहीं मगर मैं

चलती हूँ तेरे साथ साथ।


meना 

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