12/04/2021
परछाई हूँ मैं जीवन की
रहती हूँ तेरे आस पास
दिखती नहीं मगर मैं
चलती हूँ तेरे साथ साथ।
देखती हूँ तेरे हर पल को
ख़ुशी को और हर ग़म को
रोकती नहीं टोकती नहीं कभी भी
जो करना हो करो जीवन को।
पर, धर दबोचूँगी तुम्हें एक दिन
रोक न पाओगे तुम मुझको
एक न चलेगी तब तुम्हारी
जान-पहचान पैसा या ताक़त हो।
देखते सुनते हो रोज़ मुझको
ले जाते हुए जीवन को
तब भी न आँखें खुलतीं तुम्हारी
इतने भी क्या ना समझ हो !?
परछाईं हूँ मैं जीवन की
रहती हूँ तेरे आस पास
दिखती नहीं मगर मैं
चलती हूँ तेरे साथ साथ।
meना
Very touching.
ReplyDeleteTruth of Life/Death
Thank you 🙏🏻
DeleteStraight from heart
ReplyDeleteThank you 🙏🏻
Delete👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you 🙏🏻 Veena
DeleteVery Nice. 👌
ReplyDeleteThank you 🙏🏻 Divya
DeleteVery nice meenaji
ReplyDeleteThank you 🙏🏻 ji.
DeleteVery touching and real.
ReplyDeleteThank you 🙏🏻 ma’am.
DeleteVery nice Meena ji
ReplyDeleteThank you 🙏🏻 ji.
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