२४/०६/२०१८ को हुई बारिश
"देर आई दुरुस्त आयी"
मालूम होता है बारिश भी देरी से चलने वाली रेल से सफ़र कर आई है,
तभी तो नौ घंटे की बजाय पंद्रह घंटे में आई है।
आपके वहाँ भौर में आई तो हमारे यहाँ शाम ढलते आई है,
ख़ैर साहब देर आई दुरुस्त आई पर आई तो है।
लगता है सफ़र की थकान कुछ ज़्यादा हो गयी,
जभी तो कुछ कम बरसाई है।
ख़ैर साहब देर आई दुरुस्त आई पर आई तो है।
कहते हैं गरजने वाले बरसते नहीं और बरसने वाले गरजते नहीं,
पर मियाँ आज की बारिश तो गरजी भी है और बरसी भी है।
ख़ैर साहब देर आई दुरुस्त आई पर आई तो है।
अब आई हो तो आते ही रहना,
ऊपरवाले से दुआ है हमारी ऐसे ही गरजते और बरसते रहना,
जितने की ज़रूरत हो उतना ही देना, न कम न ज़्यादा,
फिर हर बच्चा,बूढ़ा,जवान व किसान गाएगा क्या ख़ूब बरसी है, क्या रहमत बरसाई है !!
हर जीव जंतु पक्षी भी झूम उठेगा,
फिर कोई न कहेगा देर आई दुरुस्त आई पर आई तो है।
me ना
** The image is obtained from internet and the credit goes to the respective author.
** The image is obtained from internet and the credit goes to the respective author.
Wow Nice
ReplyDeleteThank you :)
DeleteGreat
ReplyDeleteThank you ma'am.
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