Sunday, May 23, 2021

दुआ

२२/०५/२०२१


देखने जाते थे जिन्हें कभी 

चिड़ियाघरों और अभ्यारण्यों में

अक्सर चले आते हैं वे आज देखने 

मनुष्यों को उनकी ही बस्तियों में। 


कुछ ऐसे हीचला आया एक मोर 

कल मेरी भी गली में।  

देखने उस अद्भुत नज़ारे को 

अचल हुई और वहाँ से  हिली मैं। 


इधर-उधर देखते हुए टहल रहा था 

वो जिस अन्दाज़ से

मानो पूछ रहा हो वो 

कैसे हो” हम सबसे। 


देख उसकी बेबाक़ी और 

बिना मास्क उसकी छवि 

सच पूछो तोअच्छा तो खूब लगा 

पर दिल में हुई कसक भी। 


दिल ने कहा....

 मोरआज जो ये तुम टहल रहे हो 

बस्ती में मेरी बिना ख़ौफ़ खाए। 

दुआ करो कि हम भी घूमें ऐसे 

बिना कोई मास्क लगाए। 



 meना

Wednesday, May 19, 2021

प्रार्थना

१७/०५/२०२१


जवान तोड़ रहे हैं दम 

बुज़ुर्ग छोड़ रहे हैं आस 

और बच्चे हो रहे अनाथ 

ये कैसी लीला हैतेरी नाथ ?


माना परिस्थितियाँ विकट हैं 

मदद को ना आता कोई निकट है

यह भी गुज़र जाएगा 

ऐसा विश्वास अटूट है। 

पर.....

दिल दहल जाता है 

कान सुन्न पड़ जाते हैं 

और होंठ मानो सिल जाते हैं 

जब जब सुनते ख़बर दुखद हैं। 


बस करो प्रभु अब 

और  दिखाओ मौत का ये तांडव। 

महामारी से लड़ते-लड़ते थक चुका है मानव। 

अल्पविराम नहींअब पूर्णविराम लगाओ इसे 

हाथ जोड़ करते हैं ये प्रार्थनाहे माधव! 🙏🏻


meना