Sunday, April 25, 2021

आओ सब मिलकर प्रार्थना करें ....

 २४/०४/२०२१ 


कोरोना ने जो क़हर है ढाया 

चारों ओर हाहाकार है मचाया

कितनों ने अपनों को खोया 

जाने कैसा समय ये आया!!

ऐसे में हौसला  हारें

आओ सब मिलकर प्रार्थना करें।


 अस्पताल  इलाज है मिलता

कैसी बेबसी लाचारी है छाई। 

चाह कर भी मदद  कर सकते किसी की

जाने कैसी ये बीमारी है आई!!

चलो भीतर के तार हम जोड़ें

एक दूसरे को सांत्वना हम दें

आओ सब मिलकर प्रार्थना करें। 


दया करो प्रभु 🙏

दुःख ये हरो प्रभु 🙏

स्वस्थ हो जाएँ जो हैं बीमार 

अब  उजड़े किसी का संसार 

हाथ जोड़ 🙏 विनती ये करें 

आओ सब मिलकर प्रार्थना करें। 


meना 

Tuesday, April 20, 2021

मेरे पापा

 १९/०४/२०२१ 


 दिलजानते थे तुम 

इक दिन ऐसा हो जाएगा

मेरा अपना मुझसे खो जाएगा। 

फिर क्यूँ स्वीकार नहीं करते 

कि जानेवाला लौटके नहीं आएगा!?

प्रस्तुत कविता मेरे स्वर्गीय पिताजी को समर्पित है जिन्हें मैंने हाल ही में कोविड की दूसरी लहर के दौरान खोया है। ईश्वर उन्हें अपनी शरण में रखें इसी प्रार्थना व कामना के साथ। 🙏



देखी हर तकलीफ़ जिन्होंने

फिर भी डटे रहे वे लड़ने। 

हिम्मत  हारना किसी भी हाल में 

सीखा उनसे ही है हमने। 

जी हाँ वो मेरे पापा ही हैं

जी हाँ वो मेरे पापा ही हैं। 


कैसे समझाऊँ अब दिल को 

अब  सुनाई देगी आवाज़ वो

कहती थी जो.....

“ बेटा अपना ख़याल रखो तुम

अब अपनी सेहत बनाओ तुम।” 


अब कौन जन्म दिन पे फ़ोन करेगा 

एक नहींदोनों* दिन करेगा ??

कौन सिर पर हाथ रखेगा 

चिंता मत कर कौन कहेगा ??


देख हमारी पीड़ा रो पड़ते थे जो 

बाहर से कठोरभीतर से मोम थे वो 

सबकी मदद को तत्पर रहते जो 

हाँ, मेरे पापा थे वो 

हाँ, मेरे पापा थे वो 


जीवन के हर पल हर क्षण में

सुख की घड़ी में दुःख के पल में 

कामयाबी और नाकामी में 

याद आएगी हर सीख उनकी

जब जब आएगी याद उनकी। 


हे ईश्वरछोड़ हम सब को 

आए हैं वे अब तेरे द्वारे। 

रखना शरण में उन्हें अपनी तुम 🙏🏻

पापा हैं वो मेरे प्यारे। 

पापा थे वो मेरे प्यारे। 


🙏 ओम् शांति 🙏


meना 


हिन्दू व अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 

Monday, April 12, 2021

क़यामत

 12/04/2021


परछाई हूँ मैं जीवन की
रहती हूँ तेरे आस पास
दिखती नहीं मगर मैं
चलती हूँ तेरे साथ साथ।

देखती हूँ तेरे हर पल को
ख़ुशी को और हर ग़म को
रोकती नहीं टोकती नहीं कभी भी
जो करना हो करो जीवन को।

पर, धर दबोचूँगी तुम्हें एक दिन
रोक न पाओगे तुम मुझको
एक न चलेगी तब तुम्हारी
जान-पहचान पैसा या ताक़त हो।

देखते सुनते हो रोज़ मुझको
ले जाते हुए जीवन को
तब भी न आँखें खुलतीं तुम्हारी
इतने भी क्या ना समझ हो !?

परछाईं हूँ मैं जीवन की
रहती हूँ तेरे आस पास
दिखती नहीं मगर मैं

चलती हूँ तेरे साथ साथ।


meना