२७/०३/२०२०
प्रिय मित्रों 🙏
अभी हाल ही में lockdown के दिनों में बारिश हुई थी । उसी एक सुबह मैंने जो महसूस किया उसी को इस कविता के ज़रिये पेश कर रही हूँ ।आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी ।
हवा की आज रवानी देखी
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।
जवाँ दिख रहीं थीं पत्तियाँ पेड़ों पे,
हवा ले रही थी ताज़ा साँसें ।
ऐसे गा रहे थे पंछी गगन में,
मानो प्रकृति का जन्मदिन मना रहे थे ।
हवा की आज रवानी देखी
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।
क़ैद थे इंसान घरों में,
व्यस्त अपनी दिनचर्या में ।
वातावरण शुद्ध हो रहा था,
पुनर्जनम उसका हो रहा था ।
हवा की आज रवानी देखी
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।
meना
प्रिय मित्रों 🙏
अभी हाल ही में lockdown के दिनों में बारिश हुई थी । उसी एक सुबह मैंने जो महसूस किया उसी को इस कविता के ज़रिये पेश कर रही हूँ ।आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी ।
हवा की आज रवानी देखी
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।
जवाँ दिख रहीं थीं पत्तियाँ पेड़ों पे,
हवा ले रही थी ताज़ा साँसें ।
ऐसे गा रहे थे पंछी गगन में,
मानो प्रकृति का जन्मदिन मना रहे थे ।
हवा की आज रवानी देखी
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।
क़ैद थे इंसान घरों में,
व्यस्त अपनी दिनचर्या में ।
वातावरण शुद्ध हो रहा था,
पुनर्जनम उसका हो रहा था ।
हवा की आज रवानी देखी
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।
meना