Monday, March 30, 2020

नई ज़िंदगानी

२७/०३/२०२०

प्रिय मित्रों 🙏
अभी  हाल ही में lockdown के दिनों में बारिश हुई थी । उसी एक सुबह मैंने जो महसूस किया उसी को इस कविता के ज़रिये पेश कर रही हूँ ।आशा करती हूँ आपको पसंद आएगी ।



हवा की आज रवानी देखी 
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।

जवाँ दिख रहीं थीं पत्तियाँ पेड़ों पे,
हवा ले रही थी ताज़ा  साँसें ।
ऐसे गा रहे थे पंछी गगन में,
मानो प्रकृति का  जन्मदिन मना रहे थे ।
हवा की आज रवानी देखी 
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।

क़ैद थे इंसान घरों में,
व्यस्त अपनी  दिनचर्या में ।
वातावरण शुद्ध हो रहा था, 
पुनर्जनम उसका हो रहा था ।
हवा की आज रवानी देखी 
बनती नई ज़िंदगानी देखी ।

meना 

Sunday, March 22, 2020

जनता कर्फ्यू

२२/०३/२०२०

प्रिय पाठकगण,
आज की यह कविता जनता कर्फ्यू से प्रेरित होकर लिखी है। आशा करती हूँ आप सबको पसंद आएगी।🙏


बैठती तो रोज़ ही होगी मुंडेर पर,
चहकती भी होगी शायद ।
लोगों के शोरोगुल में,
सुनाई कम देती होगी हमें ।

आज सुबह उसके ही,
चहकने से आँख खुली ।
खिड़की से झांका सन्नाटा था,
आदमी एक ना आधा था ।

केवल सुरक्षा कर्मी सुनाई दिए,
फ़र्ज़ ने उनको बांधा था ।
जनता कर्फ्यू ने हम सबको, 
घरों में अपने बिठाया था ।

आज न कोई बंदूक चलेगी,
ना कहीं बम फूटेगा ।
जान पे बन आई है यारों,
ख़ाक कोई कुछ लूटेगा ।

अलग थी विचारधारा जिनकी,
थे मतभेद जिनके मन में ।
एक स्वर में बोल रहे हैं,
एकजुट अब हो गए हैं ।

 जो काम कोई कर न सका वह,
एक विषाणु ने कर दिखाया ।
हम सब को एक छत के नीचे,
लाके खड़ा अब कर दिया ।

कुदरत तेरे खेल निराले !
कैसे कैसे खेले खेले ।
मानवता का सबक सिखाने,
नित-नए रंग तू है बदले ।

ऐ मानव! अब तो जाग,
फ़र्ज़ से अपने ऐसे ना भाग ।
कुदरत ने जो तुझे दिया है,
उसका संतुलन ना बिगाड़ । 🙏

meना 




Wednesday, March 4, 2020

सूफियाना दिल 🙏

०४/०३/२०२०


१) 
आ मिल मुझसे 
कि आमिल बन जा ।
छोड़ मैं के जमेले 
और कामिल बन जा ।

२) 
बनना, बनाना छोड़ 
और हस्ती मिटा ।
खुदा से खुद को जोड़ 
और मस्ती लुटा 

**आमिल- फकीर 
    कामिल- पूर्ण 

meना 🙏