02/08/‘24
मेरी यह कविता उस विशेष व्यक्ति (लक्ष्मी मैडम) को समर्पित है जो कि न केवल मेरे लिए अपितु मेरी जैसी कई महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रही हैं। आज उनसे बिछड़ने के भाव को इस कविता के माध्यम से आप सब के समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ; जिसकी प्रेरणा आज सुबह से हो रही बारिश ने दी है। आशा करती हूँ कि यह आपको पसंद आएगी। आप अपने विचार comment के ज़रिये व्यक्त कर सकते हैं। धन्यवाद 🙏🏻
तैयारी थी रोज़ आने की
पर आती न थी तुम
आज आई हो जब मन है
दुख के सागर में गुम।
क्या तो दिन चुना है बरसने का, क़सम से
जब बिछड़ रहा है कोई अपना हमसे
औरों के लिए होगी तुम वृष्टि, पर
इन आँखों का कार्य आज हो रहा तुमसे।
इन आँखों का कार्य आज हो रहा तुमसे। ⛆☔😢
meना
Very nice
ReplyDeleteThankyou ☺️🙏🏻
DeleteVery nice and heart touching
ReplyDeleteThank you ☺️🙏🏻
Deleteबहुत सुन्दर एवम भावपूर्ण
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏🏻☺️
ReplyDeleteVery emotional and touching.
ReplyDeleteThank you ☺️🙏🏻
DeleteBeautiful
ReplyDeleteThank you 🙏🏻☺️
Deleteअतिसुंदर एवम भावपूर्ण पंक्तियां
ReplyDeleteधन्यवाद ☺️🙏🏻
DeleteBeautiful
ReplyDeleteThank you 🙏🏻☺️
DeleteUsing rain as the symbol of tears & sorrow is unique..
ReplyDeleteBeautiful & deep poem ❤️👌🏻
Thank you so much Abhipsa 🤗 for always motivating me with your encouraging words. 💕
ReplyDeleteExcellent 👌👌
ReplyDeleteThank you ma'am 🙏
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