१) दिल-दिमाग
दिल तो है सच्चा तुम्हारा
जैसे बच्चा कोई मासूम
दिमाग खेल खेलता है
ना जाने क्यूँ मालूम !?
२) पहचान
"तुम हो-तो मैं हूँ "
ऐसा अब कह न पाऊँगी
क्यों कि अब ....
स्वयं की पहचान बनाऊंगी।
३) तस्वीर
देखी जो तस्वीर तुम्हारी
दिल में एक आवाज़ उठी
जानती हूँ इसे मैं.....
पर कैसे, ये मालूम नहीं।
शायद ये जन्मों की डोर थी
जो खिंची तुम्हारी ओर थी
फिर से बाँधने हम दोनों को
सात जन्मों की डोर से।
४) मेहर
मुझ पर जो तेरी मेहर रही है
ज़ुबां नहीं गा सकती है
जब भी दिल ने शुक्र मनाया
आँख नम हो आती है।
५) शांत मन
शांत मन सुनता है
हर कही-अनकही बात
और हर एक अहसास
अक्सर बोलने की होड़ में
हम सुनना चूक जाते हैं।
६) नग़मा
दिल की गहराई से निकला ख्याल
जाने कब नग़मा बन जाये
पुकार जारी रख बंदे
क्या जाने कब कलमा बन जाये !
७) क्षमा
क्षमा कर शम्मा बन जाओ यारों
क्षमा कर शम्मा बन जाओ यारों
के बदले और नफरत में वो मज़ा कहाँ
जो माफ़ कर भूल जाने में है।
meना
२) पहचान
"तुम हो-तो मैं हूँ "
ऐसा अब कह न पाऊँगी
क्यों कि अब ....
स्वयं की पहचान बनाऊंगी।
३) तस्वीर
देखी जो तस्वीर तुम्हारी
दिल में एक आवाज़ उठी
जानती हूँ इसे मैं.....
पर कैसे, ये मालूम नहीं।
शायद ये जन्मों की डोर थी
जो खिंची तुम्हारी ओर थी
फिर से बाँधने हम दोनों को
सात जन्मों की डोर से।
४) मेहर
मुझ पर जो तेरी मेहर रही है
ज़ुबां नहीं गा सकती है
जब भी दिल ने शुक्र मनाया
आँख नम हो आती है।
५) शांत मन
शांत मन सुनता है
हर कही-अनकही बात
और हर एक अहसास
अक्सर बोलने की होड़ में
हम सुनना चूक जाते हैं।
६) नग़मा
दिल की गहराई से निकला ख्याल
जाने कब नग़मा बन जाये
पुकार जारी रख बंदे
क्या जाने कब कलमा बन जाये !
७) क्षमा
क्षमा कर शम्मा बन जाओ यारों
क्षमा कर शम्मा बन जाओ यारों
के बदले और नफरत में वो मज़ा कहाँ
जो माफ़ कर भूल जाने में है।
meना