Monday, November 3, 2025

बिन मौसम बरसात ☔️

 03/11/2025

प्रिय पाठकगण, 

नमस्ते 🙏🏻 । आज शाम हुई तेज ( गरजती-बरसती) बारिश पे मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं। आशा करती हूँ आप भी मेरे इन विचारों से सहमत होंगे। 


बिन मौसम बरसात ☔️ 


तुम बरस रही हो या के डरा रही हो, ऐ बारिश 🌧️ ?

ज़रा तो ख़ौफ़ खाओ उस मालिक का

के यह नवंबर का महीना है, जुलाई का नहीं। 


सुनो; तुम यूँ बेख़ौफ़, खुले आम, कभी भी; न बरसा करो। 

जाओ, अब घर जाओ, थोड़ा तो विश्राम करो। 

के अगले साल फिर आना है तुम्हें; सज सँवर कर। 

तब तक बाक़ी ऋतुओं को भी; अपना जलवा दिखाने दो। 😊



meना