16/09/2025
प्रिय पाठकगण,
मेरी प्रस्तुत कविता हर उस व्यक्ति के लिए है जिसके लिए उसका दोस्त केवल दोस्त नहीं बल्कि एक साथी है जो हर सुख:दुख में उसके साथ खड़ा / खड़ी है। आशा करती हूँ आपको यह पसंद आएगी। कृपया अपने विचार कमेंट के ज़रिए साझा करें। धन्यवाद।
दोस्त गर साथ हो तो…..
दोस्त गर साथ हो तो
धूप भी छाँव लगती है।
सड़क किनारे की चाय भी ख़ास लगती है,
मोहल्ले के नुक्कड़ और गलियाँ भी
लंदन और फ्रांस लगती हैं।
दोस्त गर साथ हो तो
क्या दिन, क्या रात
जब देखो कोई न कोई बात।
बातों का पिटारा जैसे ख़त्म ही नहीं होता!
कहीं मिलो, तो घर जाने का मन ही नहीं होता।
दोस्त गर साथ हो तो
अंधेरे में उजाला लगता है।
मुश्किल वक्त में भी हौंसला बँधा रहता है।
“कोई नहीं यार, साथ में फोड़ लेंगे”
वाला जज़्बा बना रहता है।
दोस्त गर साथ हो तो
धूप भी छाँव लगती है।
सड़क किनारे की चाय भी ख़ास लगती है,
मोहल्ले के नुक्कड़ और गलियाँ भी
लंदन और फ्रांस लगती हैं।
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